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"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन का संयोजन" आलेख: डॉ रेणु शाही (कलाअचार्य, चित्राकार एवम कला समीक्षक जयपुर, राजस्थान)

  • लेखक की तस्वीर: A1 Raj
    A1 Raj
  • 26 मार्च
  • 4 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 28 मार्च


"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन का संयोजन
"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन का संयोजन

जयपुर में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले संस्थान जवाहर कला केंद्र में एक साथ तीन प्रदर्शनियों का शुभारंभ एक साथ सोलह मार्च को किया गया था। जिसका उद्घाटन जयपुर के वरिष्ठ चित्रकार रामू रामदेव ने ने किया।

"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन का संयोजन"
"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन का संयोजन"

यहां तीन अलग-अलग प्रदर्शनियां क्रमशः अवधेश और हरि ओम पाटीदार तथा राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट के पूर्व विद्यार्थियों केशव कश्यप, अभिषेक सैनी, बादल बैरवा, इंदर मोहन, दिव्या, पूजा, निषिका, अजय, राजेश, विपुल दधीचि द्वारा आयोजित की गई है। हर प्रर्दशनी की तरह इनमें भी चित्रकार के विविध स्वरूपों को देखा जा सकता है। जिनमें कलाकार के सौंदर्यबोध, दर्शन और चिंतन दिखाई देता है। तीनों कला वीथिकाओं में से सुदर्शन कला दीर्घा में प्रदर्शित अवधेश के "स्वयं भू" प्रदर्शनी में लगे चित्र अमूर्त शैली में निर्मित है। इनमें प्रकृति के तत्वों के भावों को अमूर्त में देखा जा सकता है। इनका कहना है कि, मुझे व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से कई अलग-अलग प्राकृतिक तत्व आकर्षित और प्रभावित करते हैं। कभी-कभी मैं एक महिला के परिधान का रंग देखता हूँ और अपने कैनवास पर उसे कल्पना से उकेरता करता हूँ, कभी एक पुरानी दीवार को देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ, जो जर्जर और फटी हुई है, जिसमें गिरे हुए प्लास्टर से बने हुए पैटर्न हैं। कभी इलेक्ट्रिकल तार जो सड़क या रेल के पास हो सकते हैं, जिसमें खुला और विस्तृत आकाश पृष्ठभूमि में होता है। हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन में कई चीजें हैं जो हमारी स्मृति, दृष्टि और हमारे पूरे अस्तित्व पर प्रभाव डालती हैं। इसीलिए पेंटिंग मेरे लिए एक खाली पर्दे पर रंग डालना और 'रूप' को प्रकट करने जैसा है।

"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन
"एक साथ तीन कला प्रदर्शनियों के आयोजन

मध्य प्रदेश के ही चित्राकार हरिओम पाटीदार की सुरेख कला दीर्घा में "यात्रा-2" नाम से प्रदर्शित कलाकृतियां धरती के सौंदर्य के साथ कृषि के विषय वस्तुओं पर आधारित है। उन्होंने पीले और काले वर्णों के संयोजन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। जो आखों को सोभायमान भी कर रही है और दर्शकों को गांव की मिट्टी के खुशबू का एहसास भी करवा रहा था। हरिओम दृश्य चित्रण के कलाकार भी है। इन्हीं दृश्य चित्रण का प्रभाव उनकी कला कृतियों में देखा जा सकता है। बहुत ही कोमल रंग संयोजन इनके कला की विशेषता है। अमुर्तन्न और कोमलता दोनों का ताल मेल बैठना एक कठिन अभ्यास होता है। पर कुछ कलाकारों के स्वभाव का प्रभाव भी उनकी कला का परिचय बन जाते है।मेरा जन्म मध्य प्रदेश के बिडवाल गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। बचपन खेतों और प्रकृति के बीच लुका-छिपी खेलते हुए बीता। कला शिक्षा गवर्नमेंट ललित कला महाविद्यालय धर (एमपी) तथा राजस्थान स्कूल ऑफ़ आर्ट जयपुर, राजस्थान से पूर्ण करने के बाद दो हजार सत्रह में रियाज़ अकादमी भोपाल से चित्रण में डिप्लोमा प्राप्त किया तथा दो हजार अठारह उन्नीस में राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में गेस्ट फैकल्टी के रूप में काम किया। अब तक इन्होंने कई एकल और समूह कला प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं और भारत के कई शिविर या कला उत्सवों में भाग लिया है। यह तक दक्षिण कोरिया कला शिखर सम्मेलन 2024 में भी सम्ममिलित हुए है। तथा पद्मा श्रीराम गोपाल विजयवर्गीय अवार्ड जयपुर राजस्थान 2016 और राजस्थान ललित कला अकादमी स्टेट आर्ट अवार्ड जयपुर 2020 से सम्मानित हरीओम कलात्मक अभिव्यक्ति और साधना में निरन्तर लगे हुए है। जयपुर जवाहर कला केंद्र के इस प्रदर्शनी में इनके कला कृतियों को काफी सराहना मिली।

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हरीओम पाटीदार के ही अध्यक्षता में जवाहर कला केंद्र के तीसरे कला दीर्घा सुकृति में दस युवा कलाकारों की प्रर्दशनी "टेन विजन" नाम से लगाई गई थी। इन कलाकृतियों में केशव ने अपने ही विद्यार्थी जीवन के स्मृतियों को, अभिषेक सैनी ने स्वयं के अनमोल पलों को, विपुत ने प्रकृति की कल्पना और जीव के साथ उसके संबंधों को, इंदर मोहन ने व्यक्ति चित्र के माध्यम से संघर्ष की पीड़ा, बादल ने सूई और धागे की व्यथा, निशिका ने चटख रंगों के संयोजन को और किताबों को बनाया है। सभी ने अपनी-अपनी कला में एक अलग अभिव्यक्ति के आधार पर निर्मित की है। और विभिन्न विषय वस्तुओं पर आधारित कलाकृतियां प्रदर्शित की गई थी। जहां दर्शकों को यथार्थवादी चित्रण के साथ रोजमर्रा के जीवन के झलक भी कलाकृतियां में देखने को मिला।

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युवा कलाकार राजेश द्वारा निर्मित एक ऐसा भी चित्र लगा था, जिसमे टोकरी में रखे प्याज का चित्र इतना स्वाभाविक लग रहा था कि लोग उसे बड़ी ही उत्सुकता से देख रहे थे। दिव्या का मानना है कि कला एक प्रयास है, दर्शक तक अपना दृष्टिकोण पहुंचने का। इसलिए अपने चित्रों द्वारा प्रकृति के सौंदर्य को अमूर्त रूप देकर उसकी अभिव्यक्ति करने का प्रयास किया है। वह कहती है। प्रकृति ही मुझे शांति और सौंदर्य की परम अवस्था में प्रवेश कराती है। जिस तीव्रता से पहाड़ और पेड़ मेरी चेतना पर प्रभाव डालते हैं वह प्रभाव मैंने अपने चित्र द्वारा दर्शक तक पहुंचाने का प्रयास किया है। वही पूजा की कला कृतियों में जादुई दुनिया का अंकन है । उनके काम की यह श्रृंखला उनके ऊर्जा का विस्तार है और दर्शकों को अपने आस-पास के वातावरण में अपने स्थान और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से जिस स्थान पर वे रहते हैं, उस पर चिंतन करने के लिए आमंत्रित करती है। इसी को उन्होंने विभिन्न माध्यमों में बनाया है। अजय कुमार के चित्र में उनके जीवन पर आधारित अनुभूतियों को दिखाने का एक प्रयास है। जिसे उन्होंने चारकोल के माध्यम से बनाया है। इस प्रकार उक्त तीनों कला प्रदर्शनियां एक साथ अठारह मार्च तक दर्शकों का मानोरंजन करती रही है। जो एक नया इतिहास रचने वाला बन गया है।

डॉ. रेणु शाही

 
 
 

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