
खाटू श्याम मेला (Khatu Shyam Mela) news
खाटू श्याम का लक्खी मेला, जानें क्यों होता है इसका आयोजन
Khatu Shyam Mela:
श्याम बाबा के दरबार राजस्थान के सीकर जिले में फाल्गुन माह की शुक्ल प्रतिपदा को भव्य मेला लगता है.
खाटू श्याम मेला (Khatu Shyam Mela)

खाटू श्याम मेला (Khatu Shyam Mela)
श्याम बाबा के दरबार राजस्थान के सीकर जिले में फाल्गुन माह की शुक्ल प्रतिपदा को भव्य मेला लगता है.
खाटू श्याम बाबा के इस मेले में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
कैलेंडर के हिसाब से खाटू श्याम के मेले का आयोजन 22 फरवरी से हो रहा है और ये 4 मार्च तक रहेगा .
राजस्थान के सीकर में लगने वाले इस मेले में आप जा सकते हैं. यहां पर इस दिन लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं.
मेले में आप ट्रेन, बस और हवाई जहाह से पहुंच सकते हैं.
प्लेन से जाने के लिए आपको जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट पर पहुंचना होगा.

खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने जहां पर बर्बरीक का कटा हुआ शीश रखा था. वहां पर आज खाटू श्याम बाबा का मंदिर है.
यह मंदिर राजस्थान के शेखावटी के सीकर में है.
श्रीकृष्ण के कलयुग के अवतार बाबा खाटू श्याम जी के मंदिर में दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण ने खाटू श्याम को आशीर्वाद दिया था कि जो सब जगह से हार जाएगा तुम उसके सहारे बनोगे. यहीं वजह है कि खाटू श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है.

कैसे पहुंचें खाटू श्याम जी मंदिर:
रेल/सड़क/हवाई मार्ग से देश के किसी भी हिस्से से दिल्ली या जयपुर में उतर सकते हैं और वहां से सुझाए गए मार्गों का अनुसरण कर सकते हैं।
दिल्ली से खाटू श्याम जी मंदिर तक
सड़क द्वारा :
दिल्ली से गुड़गांव - मानेसर - धारुहेड़ा - बहरोड़ - कोटपूतली - शाहपुरा - चंदवाजी - चौमू - रींगस - खाटू श्याम जी मंदिर (लगभग 300 किमी)
दिल्ली से गुड़गांव - मानेसर - धारुहेड़ा - बहरोड़ - कोटपूतली - शाहपुरा - अजीतगढ़ - देवराला - श्री माधोपुर - रींगस - खाटू श्याम जी मंदिर (लगभग 270 किमी)
दिल्ली से दैनिक बस सेवा- खाटू श्याम जी- सराय काले खां से राजस्थान रोडवेज और हरियाणा रोडवेज द्वारा दैनिक झाड़ियां संचालित की जा रही हैं।
खाटू श्याम जी का निकटतम हवाई अड्डा: जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
विभिन्न स्थानों से खाटू श्याम जी की दूरी:
रींगस से खाटू श्याम जी: 17 किमी। सड़क द्वारा।
जयपुर से खाटू श्याम जी वाया रींगस: सड़क मार्ग से 88 किमी (सिंधी कैंप बस स्टैंड, जयपुर से सीधी बसें उपलब्ध हैं)
जयपुर से खाटू श्याम जी वाया चोमू, कालाडेरा, बधाल, लामिया: सड़क मार्ग से 75 किमी
खाटू श्याम जी पर कोई रेलवे स्टेशन नहीं है, यात्रियों को ट्रेनों की यात्रा करने के लिए नजदीकी स्टेशनों पर जाने की आवश्यकता पड़ती है।

खाटू श्याम मंदिर (Khatu Shyam Mandir)
खाटू श्याम जी मंदिर की आरती का समय
आरती शीतकाल ग्रीष्मकाल
मंगला आरती प्रात: 5.30 बजे प्रात: 4.30 बजे
श्रृंगार आरती प्रात: 8.00 बजे प्रात: 7.00 बजे
भोग आरती दोहपर 12.30 बजे दोपहर 12.30 बजे
संध्या आरती सांय 6.30 बजे सांय 7.30 बजे
शयन आरती रात्रि 9.00 बजे रात्रि 10.00 बजे

खुलने का समय बंद करने का समय
खाटू श्याम जी मंदिर खुलने का समय: खुलने का समय बंद करने का समय
शीतकाल ( प्रात:) प्रात: 5.30 बजे दोपहर: 1.30 बजे
शीतकाल (दोपहर) सांय 4.30 बजे रात्रि 9:30 बजे
ग्रीष्मकाल ( प्रात:) प्रात: 4.30 बजे दोपहर: 1.30 बजे
ग्रीष्मकाल (दोपहर) सांय 4.30 बजे रात्रि 10.00 बजे
नोट : * हर ग्यारस पर खाटू श्याम जी मंदिर 24 घंटे खुला रहता है|

खाटूश्यामजी की कहानी
श्री खाटू वाले श्याम जी की कहानी इस प्रकार है .
यहा आप देखेंगे की किस तरह खाटू श्याम जी ने अपनी लीला रचकर अपने शीश को खाटू श्याम मंदिर के पास श्याम कुंड से अवतरित किया .
जय हो आपकी खाटू श्याम जी खट्वा नगरी (खाटू धाम) में एक गाय जो रोज घास चरने जाती थी , रोज जमीन के एक भाग पर खडी हो जाती थी . उसके थनों से स्वता दूध की धार उस धरा में समां जाती थी जेसे की कोई जमीन के अन्दर से उस गौ माँ का दूध पी रहा है . घर पर आने के बाद गौ मालिक जब उसका दूध निकालने की कोशिस करता तो गौ का दूध उसे मिल नही पाता था . यह क्रम बहूत दिनों तक चलता रहा . गौ मालिक से सोचा की कोई न कोई ऐसा जरुर है जो उसकी गाय का दूध निकल लेता है .एक दिन उस गौ मालिक ने उस गाय का पीछा किया . उसने संध्या के समय जब यह नज़ारा देखा तो उसकी आँखे इस चमत्कार पर चकरा गयी . गौ माँ का दूध अपने आप धरा के अन्दर समाने लगा. गौ मालिक अचरज के साथ गाव के राजन के पास गया और पूरी कहानी बताई .
राजा और उनकी सभा को इस बात पर तनिक भी यकीं नही आया . पर राजा यह जानना चाहता था की आखिर माजरा क्या है . राजा अपने कुछ मंत्रियो के साथ उस धरा पर आया और उसने देखा की गौ मालिक सही बोल रहा है . उसने अपने कुछ लोगो से जमीन का वो भाग खोदने के लिए कहा . जमीन का भाग जेसे ही खोदा जाने लगा , उस धरा से आवाज आई , अरे धीरे धीरे खोदो , यहा मेरा शीश है उसी रात्रि राजा को स्वपन आया की राजन अब समय आ गया है मेरे शीश के अवतरित होने का .
मैं महाभारत काल में वीर बर्बरीक था और मेने भगवान श्री कृष्णा को अपना शीश दान में दिया दिया फलस्वरूप मुझे कलियुग में पूजित जाने का वरदान मिला है , खुदाई से मेरा शीश उसी धरा से मिलेगा और तुम्हे मेरा खाटू श्याम मंदिर बनाना पड़ेगा . सुबह जब राजा उठा तो तो स्वपन की बात को ध्यान रखकर कुदाई पुनः शरू करा दी , और फिर जल्द ही कलियुग देव श्री श्याम का शीश उस धरा से अवतरित हुआ .




























